"एक सच्चा फ़क़ीर"
उम्मीद करता हूँ के आप सभी इस पोस्ट को जरुर शेयर करेंगे
ये हैं श्री विनोद जी जो हरिद्वार के हर की पैड़ी घाट पर हमें मिले। दूर से ही अच्छी सी रिदम की आवाज़ आ रही थी तो लगा के जैसे कोई अच्छा म्यूज़िशियन कहीं पर बैठ के बजा रहा होगा। आवाज़ को सुनते हुए बेचैन होके मैं उस तरफ़ चल पड़ा और भाईसाहब जब देखा के एक लाचार जैसा दिखता हुआ इंसान जिसे ख़ुद अपनी आँखो से कुछ नही दिखता, ऐसा संगीत गा बजा रहा है तो आँखे चौंधिया गयी फिर क्या मैं वहीं खड़ा का खड़ा रह गया, थकान की वजह से वहीं ज़मीन पर बैठ भी गया। भगवान ने क्या क्या दिया है लोगों को। आँखे नम हों गयी विनोद भाई को सुन के। इस डब्बे को ऐसा बजाया है मानो कोई बड़ा रिदमिस्ट बजा रहा हो। विनोद भाई की महफ़िल सुनने के बाद जब मैंने पास की चाय की दुकान पर पता किया तो ये ख़बर मिली कि किसी वक़्त में कोई बड़े सिंगर आए हुए थे उन्होंने विनोद का गाना बजाना सुना तो विनोद को रिकार्ड करने के लिए मुंबई साथ चलने को कहा तो विनोद ने मना कर दिया और बोला मैं ऐसे ही ख़ुश हूँ। सलाम विनोद भाई के संतुष्ट मन को। आप सब से अनुरोध है के आप जब भी हर की पैड़ी हरिद्वार जाए तो शाम के वक़्त घाट पर इस आर्टिस्ट को ज़रूर सुनिए और इसकी मदद ज़रूर करिए इसलिए नही कि वो ग़रीब है बल्कि इसलिए क्योंकि वो एक बेहद उमदा कलाकार है। नमन विनोद भाई की कला को।
Video By: Shubham Gupta
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ये हैं श्री विनोद जी जो हरिद्वार के हर की पैड़ी घाट पर हमें मिले। दूर से ही अच्छी सी रिदम की आवाज़ आ रही थी तो लगा के जैसे कोई अच्छा म्यूज़िशियन कहीं पर बैठ के बजा रहा होगा। आवाज़ को सुनते हुए बेचैन होके मैं उस तरफ़ चल पड़ा और भाईसाहब जब देखा के एक लाचार जैसा दिखता हुआ इंसान जिसे ख़ुद अपनी आँखो से कुछ नही दिखता, ऐसा संगीत गा बजा रहा है तो आँखे चौंधिया गयी फिर क्या मैं वहीं खड़ा का खड़ा रह गया, थकान की वजह से वहीं ज़मीन पर बैठ भी गया। भगवान ने क्या क्या दिया है लोगों को। आँखे नम हों गयी विनोद भाई को सुन के। इस डब्बे को ऐसा बजाया है मानो कोई बड़ा रिदमिस्ट बजा रहा हो। विनोद भाई की महफ़िल सुनने के बाद जब मैंने पास की चाय की दुकान पर पता किया तो ये ख़बर मिली कि किसी वक़्त में कोई बड़े सिंगर आए हुए थे उन्होंने विनोद का गाना बजाना सुना तो विनोद को रिकार्ड करने के लिए मुंबई साथ चलने को कहा तो विनोद ने मना कर दिया और बोला मैं ऐसे ही ख़ुश हूँ। सलाम विनोद भाई के संतुष्ट मन को। आप सब से अनुरोध है के आप जब भी हर की पैड़ी हरिद्वार जाए तो शाम के वक़्त घाट पर इस आर्टिस्ट को ज़रूर सुनिए और इसकी मदद ज़रूर करिए इसलिए नही कि वो ग़रीब है बल्कि इसलिए क्योंकि वो एक बेहद उमदा कलाकार है। नमन विनोद भाई की कला को।
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