गर्भपात से बचने के लिए इसके संकेतों को समझना है बेहद जरूरी

कोई भी महिला जब गर्भधारण करती है, तो वह यह कल्पना भी नहीं कर सकती कि उसे गर्भपात अर्थात मिसकैरेज जैसी समस्या से गुजरना पड़ सकता है। कई बार लापरवाही या अनजाने में ही गर्भपात हो जाता है तो कई बार कुछ अन्य कारणों से गर्भावस्था क्षति हो जाती है। इस लेख को पढ़ें और गर्भपात के संकेतों के बारे में जानें।


गर्भपात होने के अनेक कारण हो सकते हैं जैसे, धूम्रपान, शराब पीना या गर्भ निरोधक दवाओं का अधिक सेवन आदि। गर्भपात में महिला के शरीर से कुछ भ्रूण का हिस्सा और शिशु के आसपास का तरल पदार्थ बाहर निकल जाता है। अधिकतर गर्भपात गर्भावस्था के सोलह हफ्तों में ही हो जाते हैं। कई दफा गर्भपात अंदर ही अंदर हो जाता है और गर्भवती को इसके संकेतों का पता ही नहीं चल पाता। अधिकांश गर्भपात असामान्य क्रोमोसोम की वजह से होते हैं। अर्थात यह कहा जा सकता है कि यह समस्‍या जेनटिक होती है। उच्च रक्तचाप, डायबिटीज, किडनी की समस्‍या यूट्रस में असामान्‍यता होना आदि गर्भपात के लक्षण होते हैं। सर्वाइकल समस्‍या गर्भावस्‍था के दूसरे हफ्ते में अपना हसर दिखा सकती है। किसी एक महिला को कई दफा भी गर्भपात हो सकता है।

गर्भावस्था क्षति यानी भ्रूण की धड़कन पूरी तरह से पनपने से पहले ही गर्भ में रूक जाती है। आमतौर पर गर्भपात 26वें हफ्ते से पहले ही हो जाता है। गर्भपात यदि खुद ही होता है तो उसके कुछ महत्वपूर्ण संकेत पहले से ही मिल जाते हैं। अधिक ब्‍लीडिंग (रक्तश्राव) होना भी गर्भपात का एक संकेत होता है। यदि गर्भावती होने के बाद योनी से खून आता है यै फिर पेट के‍ निचले हिस्‍से में दर्द और पेशाब करते समय दर्द महसूस होता है, तो यह गर्भपात के बड़े संकेत हैं। साथ ही सफेद और गुलाबी रंग का डिसचार्ज, वजन में गिरावट, स्तनों का कठोर होना, मतली आना आदि संकेत इस बात का इशारा करते हैं कि गर्भपात होने वाला है।

गर्भपात के संकेत व लक्षण-
सामान्यतः महत्वपूर्ण संकेतों में योनि से रक्तस्राव होने लगता है या फिर पेट के निचले हिस्से में अचानक बहुत दर्द होने लगता हैं। हालांकि आरंभ में रक्तस्राव बहुत ज्यादा नहीं होता लेकिन धीरे-धीरे बहुत ज्यादा हो जाता है।

अधूरा गर्भपात तब होता है जब भ्रूण का कोई भाग गर्भ में रह जाता है। गर्भ धारण के तीसरे से चौथे माह के बीच में होने वाला गर्भपात अकसर अपूर्ण रह जाता है। अपूर्ण गर्भपात में रक्तस्राव जारी रहता है और गर्भ में बच गये ऊतकों में संक्रमण की आशंका बनी रहती है, जिससे बुखार और पेटदर्द भी होता है।

कई बार गर्भवती महिला को मलेरिया जैसी कोई बीमारी होने से ,होने वाले बच्चे को खतरा रहता है। लेकिन बीमारी की हालत में यदि महिला पेट के बल गिर पड़ी है, तो ऐसे में गर्भपात की संभावना ज्यादा होती है।

उन महिलाओं को गर्भावस्था क्षति हो सकती है, जो अक्सर बीमार रहती है या फिर पहले उनका गर्भपात हो चुका हो।

भ्रूण की दिल की धड़कनें और मूवमेंट में कमी आना भी मिसकैरेज का सीधा संकेत है।

गर्भपात के संकेतो में कई सामान्य लक्षण भी दिखाई पड़ते हैं जैसे-
  • योनी से भूरे रंग का खून बहना,
  • पेल्विक क्षेत्र में ऐंठन,
  • पीठ के निचले हिस्से और पेट में ऐठन,
  • स्तनों में कठोरता
  • गर्भावस्था के लक्षणों का ना होना या अचानक से बंद हो जाना,
  • योनी से रक्त के थक्कों का आना,
  • गर्भवती स्त्री के कमर में दर्द होना,
  • बच्चे का पेट के नीचे खिसक जाना इत्यादि लक्षण है।

गर्भावस्था क्षति, अपूर्ण गर्भपात से बचने के लिए गर्भावस्था में महिलाओं को अतिरिक्त देखभाल करनी चाहिए। जैसे ही गर्भपात का कोई लक्षण या असामान्य तकलीफ होने लगे तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए जिससे गर्भपात को रोका जा सकें।
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