जल को जीवन कहा जाता है। इसके बिना जीवित रहना अंसभव है। केवल पानी का पीना ही नहीं बल्कि स्वच्छ पानी का सेवन ज्यादा आवश्यक है। इसलिए सभी जानते हैं कि मानसून में पानी को उबाल कर पीना चाहिए। लेकिन क्या आप ये जानते हैं कि पानी को बार-बार उबालने से उसके पोषक तत्व खत्म हो जाते हैं। पानी को बार-बार उबालने से इसमें आर्सेनिक, नाईट्रेट और फ्लूराइड की मात्रा ज्यादा हो जाती है और इससे शरीर को नुकसान होता है। क्योंकि पानी के घटक यानी पानी जिनसे मिलकर बना होता है, वह उलट हो जाता है और सेहत के लिए नुकसानदायक होता हैं। आइए हम आपको बताते हैं कि पानी को बार-बार उबालना सही है या गलत।
बार-बार पानी उबालना क्यों नुकसानदायक
उबले हुए पानी को एक बार फिर से उबालकर इस्तेमाल में लाना खतरनाक हो सकता है। पानी को उबालने से उसकी भाप निकलकर वापस उसी में चली जाती है, जो और भी नुकसानदायक होती है, बल्कि कहा जा सकता है कि उसी के कारण नुकसान होता है। पानी एक बार उबलने पर मिनरल को दुबारा सेट करता है, ठंडा हो जाने पर पानी में सभी लवण सेट हो जाते हैं लेकिन अगर उसे फिर से गर्म किया जाएं, तो उसमें दुबारा से कैमिकल रिएक्शन होते हैं और सब कुछ संतुलित मात्रा से कम या ज्यादा हो जाता है।
पानी बन जाता है टॉक्सिक
पानी को गर्म करने पर इसमें नाईट्रेट एक्सपोज़ हो जाता है लेकिन अगर इसे बार-बार गर्म किया जाएं तो यह टॉक्सिक में बदल जाता है। उच्च तापमान, नाईट्रेट को नाईट्रोसामाइन और कारसिनोजेनिक में परिवर्तित कर देता है। इससे कई प्रकार का कैंसर हो सकता है। एक हद से ज्यादा पानी को गर्म करने पर आपको आर्सेनिक की घातक मात्रा पानी में मिलेगी। इससे कैंसर, हार्ट अटैक, मस्तिष्क सम्बंधी बीमारियां आदि होने का खतरा रहता है। यहां तककि प्रजनन क्षमता पर भी असर पड़ता है। पानी को ज्यादा उबालने पर इसमें फ्लूराइड की मात्रा बहुत ज्यादा हो जाती है जिसके कारण, इससे दिमागी बीमारी, बच्चों में होने का खतरा रहता है।
पानी को पूरी तरह से स्वच्छ और कीटाणु रहित बनाने के लिए कम-से-कम उसे 20 मिनट उबालना चाहिए और उसे ऐसे साफ कंटेनर में रखना चाहिए, जिसका मुंह संकरा हो ताकि उसमें किसी प्रकार की गंदगी न जाए।
बार-बार पानी उबालना क्यों नुकसानदायक
उबले हुए पानी को एक बार फिर से उबालकर इस्तेमाल में लाना खतरनाक हो सकता है। पानी को उबालने से उसकी भाप निकलकर वापस उसी में चली जाती है, जो और भी नुकसानदायक होती है, बल्कि कहा जा सकता है कि उसी के कारण नुकसान होता है। पानी एक बार उबलने पर मिनरल को दुबारा सेट करता है, ठंडा हो जाने पर पानी में सभी लवण सेट हो जाते हैं लेकिन अगर उसे फिर से गर्म किया जाएं, तो उसमें दुबारा से कैमिकल रिएक्शन होते हैं और सब कुछ संतुलित मात्रा से कम या ज्यादा हो जाता है।
पानी बन जाता है टॉक्सिक
पानी को गर्म करने पर इसमें नाईट्रेट एक्सपोज़ हो जाता है लेकिन अगर इसे बार-बार गर्म किया जाएं तो यह टॉक्सिक में बदल जाता है। उच्च तापमान, नाईट्रेट को नाईट्रोसामाइन और कारसिनोजेनिक में परिवर्तित कर देता है। इससे कई प्रकार का कैंसर हो सकता है। एक हद से ज्यादा पानी को गर्म करने पर आपको आर्सेनिक की घातक मात्रा पानी में मिलेगी। इससे कैंसर, हार्ट अटैक, मस्तिष्क सम्बंधी बीमारियां आदि होने का खतरा रहता है। यहां तककि प्रजनन क्षमता पर भी असर पड़ता है। पानी को ज्यादा उबालने पर इसमें फ्लूराइड की मात्रा बहुत ज्यादा हो जाती है जिसके कारण, इससे दिमागी बीमारी, बच्चों में होने का खतरा रहता है।
पानी को पूरी तरह से स्वच्छ और कीटाणु रहित बनाने के लिए कम-से-कम उसे 20 मिनट उबालना चाहिए और उसे ऐसे साफ कंटेनर में रखना चाहिए, जिसका मुंह संकरा हो ताकि उसमें किसी प्रकार की गंदगी न जाए।

0 comments :
Post a Comment