क्या आपको कमरे में बंद होने के विचार से ही पसीने आने लगते हैं? क्या लिफ्ट का दरवाजा बंद होते ही छोटी जगह के कारण आपको नर्वसनेस का एहसास होता है? तो आप क्लॉस्ट्रोफोबिया से ग्रस्त है, जिसमें व्यक्ति को छोटी जगह या भीड़भाड़ वाली जगह में होने से डर लगता है या ऐसी कल्पना से उन्हें डर लगता है। महिलाओं में चिंता विकार के कारण क्लॉस्ट्रोफोबिया से ग्रस्त होने की संभावना अधिक दिखाई देती है।
लगभग सभी मामलों में यह समस्या चिंता विकारों के कारण होती है और अध्ययनों से भी यह बात सामने आई है कि पुरुषों की तुलना में महिलाओं में इस समस्या से ग्रस्त होने की संभावना अधिक होती है। हालांकि महिला और पुरुष के बीच इस तरह के अंतर का कारण अभी स्पष्ट नहीं है। आइए इसके बारे में विस्तार से जानते हैं।
क्लॉस्ट्रोफोबिया के लक्षण
क्लॉस्ट्रोफोबिया से ग्रस्त लोगों को लगता है कि ऐसी जगह पर ऑक्सीजन की कमी हो जाएगी और उन्हें सांस लेने में परेशानी महसूस होगी। उन्हें छोटी-सी जगह पर बंद हो जाने का अत्यंत तनाव हो जाता है। इसके साथ ही क्लॉस्ट्राफोबिया के रोगियों में निम्न लक्षण नजर आते हैं।
- धड़कनों और ब्लड प्रेशर का बढ़ जाना।
- कई बार छाती में तेज दर्द या जकड़न महसूस होना।
- सांसों का तेज चलना, कई बार सांस अटकने जैसा भी महसूस होना।
- चक्कर या सिर में हल्कापन महसूस होना।
- मुंह का सूखना, बेचैनी।
- अत्यधिक पसीना निकलना।
- कंपन या थरथराहट, ठंड लगना।
- सुन्न्पन, भ्रम की स्थिति पैदा होना।
सीमित या बंद जगह पर होने पर चरम आंतक की भावना का सामना करना यानी क्लॉस्ट्रोफोबिया पर अन्य भय की तरह अध्ययन नहीं किये जा रहे हैं। लेकिन एक क्लॉस्ट्रोफोबिया की स्थिति में अपेक्षाकृत अच्छी तरह से शोध किये गये है। जिन लोगों में क्लॉस्ट्रोफोबिया अक्सर होता है, उन लोगों को मैग्नेटिक रेजोनेंस इमेजिंग (एमआरआई) करवाने की जरूरत होती है। एमआरआई मशीन में स्कैन आमतौर पर ट्यूब से किया जाता है जिसमें स्कैनर के माध्यम से समय की एक लम्बी अवधि के लिए चला जाता है। यह एक छोटी सी जगह है और आमतौर पर जिन लोगों में क्लॉस्ट्रोफोबिया नहीं भी होता वह भी एमआरआई स्कैन को बर्दाश्त नहीं कर पाते।
शोध के अनुसार
एमआरआई के दौरान कोई कैसे प्रतिक्रिया करता हैं, कुछ कारक गंभीर रूप में वृद्धि के साथ जुड़े हुए है। महिलाएं तो स्कैनर में पहले सिर देने पर बुरी तरह से डर जाती है और उन्हें एमआरआई के दौरान आतंकित अनुभव होता है। शोध से पता चला है कि कुछ पुरुष छोटे कक्ष होने के बावजूद भी कम शोर मचाते हैं और बेहतर तरीके से एमआरआर्इ करवाते हैं। लेकिन महिलाएं क्लॉस्ट्रोफोबिया के उच्च दर से जुड़ी होती है।
शोध की मानें तो
एक समय में माना जाता था कि क्लॉस्ट्रोफोबिया दर्दनाक अनुभव जैसे बचपन के दौरान कोठरी में बंद होना के कारण विकसित होते है, लेकिन नए शोध से पता चला हैं कि क्लॉस्ट्रोफोबिया के लिए आनुवंशिक तत्व भी जिम्मेदार होते हैं। चूहों पर किए एक अध्ययन के अनुसार, एक भी दोषपूर्ण जीन चूहों में क्लॉस्ट्रोफोबिया के संकेत के साथ जुड़े थे।
कई शोधों में यह बात सामने आई है कि क्लॉस्ट्रोफोबिया लोगों में छोटे अमिग्डल के कारण भी होता है। यह मस्तिष्क का वह भाग होता है, जो हमारे डर को नियंत्रित करने का काम करता है। साथ ही शोधों में यह माना गया कि जेनेटिक्स में गड़बड़ी भी इसकी वजह हो सकती है।


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