वैज्ञानिकों ने हाल में हुए एक शोध के आधार पर कहा है कि बहुत अधिक रोशनी गर्भधारण पर प्रतिकूल प्रभाव डालती है. अगर बेडरूम में बहुत रौशनी है तो इससे महिला की प्रेग्नेंसी पर असर पड़ सकता है.
वैज्ञानिकों का कहना है कि बेडरूम में पर्दे से छनकर आने वाली हर रोशनी, चाहे वो स्ट्रीट लाइट हो या बाहर से गुजरने वाली गाड़ियों की रोशनी, सभी महिला की प्रजनन क्षमता पर विपरीत प्रभाव डालती हैं.
इसमें कंप्यूटर और टैबलेट की रौशनी भी शामिल है. औसत उम्र की महिलाओं पर इसका सबसे बुरा असर होता है.
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हो सकता है कि ये सुझाव आपको थोड़े अटपटे लग रहे हों लेकिन मां-बाप न बन पाने वाला हर सातवें जोड़ें की इस परेशानी का मुख्य कारण अज्ञात है. इसके साथ ही इस तथ्य को इस बात से भी बल मिलता है कि कमरे में बहुत अधिक रोशनी होने से हमारा बॉडी क्लॉक बिगड़ जाता है.
उन्होंने ये पता करने की कोशिश की कि किस तरह डिस्टर्ब बॉडी क्लॉक प्रजनन क्षमता को प्रभावित करता है. हालांकि इस प्रयोग का युवा चूहों पर तो कोई असर नहीं हुआ लेकिन औसत उम्र वालों के प्रेग्नेंसी रेट पर असर जरूर पड़ा.
करीब 71 प्रतिशत, अधिक उम्र होने के बावजूद नॉर्मल बॉडी क्लॉक के साथ प्रेग्नेंट हुईं, जबकि डिस्टर्ब टाइम क्लॉक में ये केवल 10 फीसदी ही रहा.
हालांकि ये शोध चूहों पर ही था लेकिन महिलाओं की प्रजनन क्षमता भी रोशनी की वजह से प्रभावित होती है. वैज्ञानिकों का कहना है कि महिलाओं को रात के समय रोशनी के संपर्क में आने से परहेज करना चाहिए.
यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया के रिसर्चर डॉक्टर जेन ब्लॉक का कहना है कि आजकल के समाज में महिलाओं को कई ऐसी चुनौतियों का सामना करना पड़ता है, जिससे उनकी प्रजनन क्षमता पर विपरीत असर पड़ता है.

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